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एक गांव अएसा भी

 नीलगिरी की पहाड़ियों में बसा उड़न तुरई गांव तमिलनाडु के कोयंबटूर से 40  किलोमीटर दूर आज यह गांव एक स्मार्ट गांव की तरह दिखता है यहां पर शहर जैसी सुविधाएं मौजूद है और गांव के लोग भी खुश एवं संतुष्ट दिखते हैं

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एक गांव अएसा भी



कैसी थी गांव की तस्वीर

लेकिन कुछ साल पहले ऐसा नहीं था गांव की तस्वीर एकदम अलग थी यहां बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं थी पीने का साफ पानी नहीं था बिजली नहीं थी पूरे गांव में कच्चे घर थे अधिकतर लोग गांव छोड़कर शहर जाने लगे 



कैसी बदली गाँव की तस्वीर

लेकिन अब गांव की स्थिति एकदम बदल गई है के मकान है अब यहां सब के पास पक्के मकान  जिनमें सोलर पैनल लगे  है सोलर पैनल घरों को रोशन करने में काम आते हैं गांव की अधिकतर घर एक जैसे हैं इससे बहुत सुंदर लगता है पानी के लिए अब गांव में बोरवेल लगे  बोरवेल से की एक बड़ी टंकी को भर लिया जाता है जिससे गांव के हर एक घर को 24 घंटे पानी पहुंचाया जा सकता है

लेकिन यह सब बदलाव कैसे हुआ

इस बदलाव के पीछे हैं गांव के पूर्व सरपंच षणमुगम
गांव के पूर्व सरपंच आर षणमुगम
“ 1986 से 1991 तक मेरे पिताजी गांव की सरपंच थे पंचायत के घरों की मांग की पंचायत ने प्रस्ताव पास कर उनके लिए घर बनाने का निर्णय किया  गांव के लोगों ने घरों की मांग की पंचायत के इंतजाम किया और दूसरे लोगों के लिए भी घर बनवाने का प्रस्ताव पास किया गांव झोपड़ियों को हटाया गया और उनकी जगह बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के मकान बनाए गए गांव से पलायन कर गए लोग वापस आने लगे इस साल में हमारी जनसंख्या 16 से 10000 हो गई है यह लक्ष्य भ्रष्टाचार मुक्त  की नीति के तहत हुआ ” 

कैसे गाँव की देखभाल किया जाता हैं।

 अपने गांव की देखभाल खुद अच्छे से करते हैं और खुश हैं village में बच्चों के लिए एक प्राइमरी school बड़े बच्चे पास के सेकेंडरी स्कूल में जाते हैं प्राइमरी स्कूल में बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाता है यहां 2 टीचर हैं यह विशेष जरूरतों वाले बच्चों को भी पढ़ा सकते हैं

गांव के ज्यादातर लोग खेतों में काम करते हैं गांव की सफाई कर्मी भी नियमित तौर पर आते हैं लेकिन गांव वाले भी नियमित तौर पर अपने गांव को साफ रखने की कोशिश करते हैं

षणमुगम के कारनामें

षणमुगम के प्रयासों से कभी बिना बिजली के चलने वाला यह गांव अब सरकार को बिजली बेच रहा है इनको एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति रह चुके थे एवं उनके मुख्यमंत्री के द्वारा पुरस्कार प्राप्त हो चुका है उन्होंने भारत एवं विदेशों में एवं विद्यालयों पर अपने दिल पर भाषण दिए विश्व बैंक के अध्यक्ष समेत 43 देशों के के लोग उड़न तोरई आकर देख चुके हैं
षणमुगम अब गांव की मुखिया नहीं है लेकिन वह अपने काम को बड़े ही गर्व के साथ दिखाते हैं उनकी इच्छाशक्ति के वजह से झोपड़ियों
वाला गांव अब विकास की राह पर चल रहा है वह बिजली भी बना रहा है और अपना भविष्य भी

निष्कर्ष
षणमुगम कहते हैं मजबूत इच्छाशक्ति और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन चलाकर किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है

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