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मध्य प्रदेश की नदियां FOR EXEM

भारत में सर्वाधिक नदियां मध्यप्रदेश में ही बहती हैं इसी कारण है इस प्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है 

मध्यप्रदेश में बहने वाली नदियां सामान्यतः नदियां हैं 

प्रदेश में विंध्याचल पर्वत को भारत का सबसे बड़ा जल विभाजक माना जाता है 

प्रदेश में 5 या नदी अपवाह तंत्र है 


गंगा अपवाह तंत्र 


इस पावन तंत्र में सम्मिलित नदियां बंगाल की खाड़ी तक पहुंचते हैं 

इस अपवाह तंत्र में अपवाह क्षेत्र मध्य प्रदेश में है जो यमुना टोंस एवं SON BESIN अपवाह क्षेत्र 

mppsc
mp river  अपवाह तंत्र 



नर्मदा अपवाह क्षेत्र 

नर्मदा नदी क्षेत्र दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है 

इस नदी अपवाह तंत्र में उसकी सहायक नदियां सम्मिलित हैं जिनका अरब सागर में जाकर मिलता है यह देश की 

पांचवीं सबसे बड़ी नदी है जो पश्चिम की ओर बहती है यह प्रदीप भारत की तीसरी सबसे बड़ी नदी मानी जाती है 

इसको प्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है इसको उत्तर दक्षिण का विभाजक भी कहा जाता है 

इसका भी सीन प्रतिरूप वृक्षम प्रणाली वाला माना जाता है 


ताप्ती अपवाह क्षेत्र 

नर्मदा नदी के समानांतर पूर्व से पश्चिम की ओर चलने वाली यह नदी किसकी सहायक नदी है इसमें शामिल है यह

 भी नर्मदा की भांति पश्चिम की ओर चलती हुई अरब सागर के खंभात में गिर जाती है 

इसका  अपवाह क्षेत्र   6561 40 वर्ग किलोमीटर है इसमें लगभग 9800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मध्य प्रदेश में तथा बाकी

 महाराष्ट्र, गुजरात में है 

इस अपवाह तंत्र में प्रमुख नदियां जैसे कि ताप्ती पूर्णा कनेर,KANAIR, एवं AMOMORAMOGA है 


गोदावरी अपवाह क्षेत्र 

यह दक्षिण भारत में बहने वाला क्षेत्र है गोदावरी नदी मध्यप्रदेश में नहीं बहती पर अपवाह क्षेत्र में मिलने वाली 

नदियां जैसे वर्धा, वैनगंगा यह मध्य प्रदेश से ही निकलती है 


माही अपवाह क्षेत्र 

यह का क्षेत्र  सबसे छोटा अथवा क्षेत्र माना जाता है 

इस अपवाह क्षेत्र में प्रमुख नदी माही स्वयं है इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 38600 वर्ग किलोमीटर है यह भी नर्मदा 

की भांति पश्चिम की ओर बहती हुई अरब सागर में मिल जाती है 




प्रमुख नदियां 


नर्मदा नदी 


यह मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी तक भारत की पांचवीं सबसे बड़ी नदी है यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है 

 इसको और अन्य नाम से भी जाना जाता है जैसे रेवा, संक्री, नामोदो, सोमू देवी, मेकलसूता आदि 

इसको प्रदेश एवं गुजरात दोनों की जीवन रेखा के नाम से जाना जाता है 

इसका उद्गम क्षेत्र अनूपपुर जिले के अमरकंटक मैकल पर्वत श्रेणी से हुआ है 

यह विंध्याचल एवं सतपुड़ा में भ्रंश घाटी निर्माण करती हुई पश्चिम की ओर बहती है 

इसकी लंबाई 1312 किलोमीटर जो कि प्रदेश में 1077 किलोमीटर बहती है 

यह तीन राज्यों में (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात) बहते हुए गुजरात के भरूच के पास खंभात की खाड़ी में मिल जाती है 

यह नदी SCHURI बनाती है डेल्टा नहीं 

इस नदी के बेसिन का लगभग 89.8 मध्यप्रदेश में तथा 8.5 गुजरात में तथा बाकी बचा 2.7 महाराष्ट्र में है 

नर्मदा पुरुष को के नाम से अमृतलाल वेगड़ को जाना जाता है 

यह प्रदेश की पहली जीवित इकाई के रूप में दर्जा प्राप्त नदी है 

इसकी 41 सहायक नदियां हैं जो दाएं तट से 19 और बाएं तट से 22 नदियां मिलती हैं जिनमें प्रमुख हैं 
तवा,हिरण,शक्कर,दूध,कर्जन,मान इत्यादि 


नर्मदा नदी द्वारा निर्मित जलप्रपात 

कपिलधारा, दूध धारा(अनूपपुर), धुआंधार जलप्रपात(जबलपुर के भेड़ाघाट), सहस्त्रधारा 

जलप्रपात(महेश्वर,खरगोन), दर्दी जलप्रपात, मांधाता जलप्रपात 

 

निर्मित कुछ बांध 

इंदिरा सरोवर(खंडवा),ओमकारेश्वर(खंडवा),महेश्वरपरियोजना(महेश्वर),बरगी परियोजना(बरगी,जबलपुर)सरदार

 सरोवर परियोजना(नवागांव,गुजरात) 


नर्मदा नदी के किनारे बसे शहर 

अमरकंटक, डिंडोरी, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, मंडला, ओमकारेश्वर, महेश्वर, बड़वानी, बड़वाह, हंडिया इत्यादि



चंबल नदी


यह मध्य प्रदेश की दूसरी बड़ी नदी है

 किसे कर्मावती, महाभारत में पूर्णा के नाम से भी जाना जाता है

उद्गम यह पश्चिमी मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू तहसील की जानापाव पहाड़ी से निकलती है

यह उत्तर प्रदेश के इटावा में जाकर यमुना से मिल जाती है

इस की टोटल लंबाई 965 किलोमीटर है

प्रदेश तथा राजस्थान की सीमा बनाती है यह मध्य प्रदेश में दो बार प्रवेश करती है

इसकी सहायक पार्वती ,छपरा एवं कालीसिंध नदियां हैं

 इसकी ऊपर निर्मित बांध

जवाहर सादर जवाहर सागर ( कोटा राजस्थान) राणा सागर ( गड़ राजस्थान) टीम गांधी सागर बांध ( मंदसोर)

राजस्थान की कोटा भैरू गढ़ के नजदीक चुलिया नामक जलप्रपात का निर्माण करती है।

यह नदी भिंड मुरैना क्षेत्र में का बीहड़ों का निर्माण करती है इसके किनारे बसे कुछ शहर हैं जैसे कि महू,रतलाम,श्योपुर,मुरैना।


पार्वती नदी

उद्गम स्थल।--:   यह विंध्याचल पर्वत सीहोर जिले के आष्टा से निकलती है

और यह राजस्थान में चंबल से मिल जाती है


केन नदी

यह कटनी के नजदीक विंध्याचल पर्वत से निकलती है

और उत्तर प्रदेश में बहती हुई बांदा के नजदीक यमुना में जाकर समाहित हो जाती है 

 इसकी कुल लंबाई 427 किलोमीटर है जो कि मध्य प्रदेश में 292 किलोमीटर बहती है


माही नदी


यह धार जिले के सरदारपुर तहसील विंध्याचल की पहाड़ियों से निकलकर गुजरात की खंभात खाड़ी में मिल जाती है

इसकी कुल लंबाई 576 किलोमीटर है

यह भारत की एकमात्र नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती हुई चलती है।


सिंध नदी


इसका उद्गम मछली की सिरोंज स्थान से निकलती है

 और और यूपी के इटावा के नजदीक यमुना में जाकर मिल जाती है

इसकी कुल लंबाई 470 किलोमीटर है।

इसकी की सहायक नदियां माहुर, पाहुज एवं कुंवारी है।


कालीसिंध नदी

इसका उद्गम क्षेत्र देवास जिले के बगड़ी गांव की विंध्याचल पर्वत से निकलती है।

जो कि शाजापुर एवं राजगढ़ जिले में बहती हुई राजस्थान मैं यह नदी चंबल में जाकर समाहित हो जाती है

इसकी कुल लंबाई 150 किलोमीटर है


सोन नदी


यह नदी हिरणबहु नदी भी कहा जाता है

इसका उद्गम क्षेत्र  अमरकंटक की पहाड़ियों से  है।

यह मध्य प्रदेश बिहार की संयुक्त परियोजना जिसको देव लोन परियोजना के नाम से भी जाना जाता है।

किस की सहायक नदियां रिहंद, गोपद, एवं जोहिला है।


बेतवा नदी


इसका पुराना नाम वेत्रवती है।

इसका उद्गम रायसेन की कुमारा गांव से हुआ है

 उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में जाकर यमुना नदी से मिल जाती है

 इसकी कुल लंबाई 880 किलोमीटर है

सतीश की सहायक नदियां बीना, सिंध,एवं धसान हैं।

तथा इसके किनारे बसे शहर ओरछा, सांची, एवं विदिशा है।

के ऊपर राजघाट एवं माताटीला बांध बने हुए हैं देश एवं उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।

इस परियोजना के जरिए दतिया, भांडेर, भिंड तथा ग्वालियर लाभान्वित होते हैं ।

अति प्रदूषण के कारण इसको मध्य प्रदेश की गंगा की संज्ञा दी जाती है।
भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना केन बेतवा लिंक परियोजना इसी नदी पर चलाई गई थी।

शिप्रा नदी


यह इंदौर के काकडी बाड़ी नामक पहाड़ी से निकलती है।

एवं मंदसौर में जाकर चंबल नदी में इससे पहले उज्जैन देवास जिलों में बहती है।

 लंबाई की हिसाब से यह 195 किलोमीटर है।

गंभीर एवं खान नदियां इसकी सहायक नदी है।

उज्जैन का प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर शिप्रा नदी के किनारे ही अवस्थित है।

इस नदी को मालवा क्षेत्र की गंगा के नाम से भी पुकारा जाता है।


तवा नदी



यह सतपुड़ा रेंज के महादेव पर्वत पचमढ़ी में होशंगाबाद के निकट निकलती है।

होशंगाबाद की ही निकट नर्मदा नदी में जाकर समाहित हो जाती है।
तवा की सहायक नदियां मालिनी, देनवा, सुखतवा एवं कालीभीत है।

यह देश का दूसरा सबसे लंबा पुल वाला नदी है।

वैनगंगा

यह सिवनी के परसवाड़ा पठार से निकलती है महाराष्ट्र की वर्धा में ना नदी में जाकर मिल जाती है गंगा और वर्धा 

नदी के मिलन को प्राणहिता नदी के नाम से जाना जाता है।

इन की सहायक नदियां कान्हा, पेज, चंदन, तथा बवंथादि हैं।

यह नदी अपार वैनगंगा, संजय सरोवर परियोजना( एशिया के सबसे बड़े मिट्टी बांधों में एक)



मध्यप्रदेश की प्रमुख छोटी नदियां।



कलियासोत नदी   भोपाल की सीमावर्ती नदी।

केरवा नदी    भोपाल की सीमावर्ती नदी।

नेउर नदी       सीधी और सिंगरौली में प्रवाहित होने वाली नदी।

गोपद नदी    छत्तीसगढ़ से निकलने वाली मध्य प्रदेश की प्रमुख नदी।

बिजुल नदी    की प्रमुख सहायक नदी यह सिंगरौली में बहती है।

रेहन नदी।    इसको रिहंद न दीदी कहते हैं यह छत्तीसगढ़ की  मरतंग तुम  पहाड़ियों से प्रवाहित होती है।

पैसुनी नदी   यह नदी सतना जिले के डांगरी पहाड़ी से निकलती है इसको मध्य प्रदेश की मंदाकिनी के नाम से भी जाना जाता है ।

हलाली नदी यह भोपाल के परवलिया गांव से निकलती है।

शिवना नदी।   इसका उद्गम रतलाम जिले से हुआ है मंदसौर शहर शिवना नदी के किनारे बसा हुआ है।

कारम नदी      यह इंदौर के सिंगार चोली पहाड़ी से निकलती है

रिछन नदी।     रायसेन जिले में प्रवाहित होती है।


सांख नदी    शहर के सीमावर्ती डीन पहाड़ी से प्रवाहित होती है।


शेर नदी     यह सिवनी  पर्वत शिर्डी से निकलकर नर्मदा में मिल जाती है





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