कितनी भयानक थी वह काली रात।
इस रात के बाद अगले दिन रात के बाद ऑफ कोर्स भोपाल में सनराइज तो हुआ लेकिन सूरज में कोई चमक नहीं थी, और वह चमक आज तक नहीं लौटी चमक लोगों के चेहरे की खुशी की, वहाँ की तंदुरुस्त बच्चों की चमक वह बाद में भारत के लिए थी। वेल्युएबल यूथ बने लेकिन वो नहीं बन पाए वेल्युएबल यूथ।
भोपाल गैस त्रासदी यह हिंदुस्तान के इतिहास में ऐसा एक घाव बन के रह गया है वास्तविकता में ऐसी अभिव्यक्ति जो कभी ठीक नहीं हो गई और ना ही कभी कई अनसुनी कहानी है जो जब दुनिया के सामने आई तो यह याद दिलाती है कि इंसान ही अपने पैरों पर खड़ा है पर कुल्हाड़ी मारता है।
क्या हुआ कि 2-3दिसंबर की रात को
15 साल पहले मध्य प्रदेश में जो कि भारत का केंद्र है उसका कैपिटल भोपाल में एक नई फैक्ट्री स्टेबलस हुई और उस इस्टैब्लिशमेंटे के साथ-साथ लोग के चेहरे पर बहुत बड़ी खुशी आई भोपाल के लोग को जो उस समय मुख्य जरूरत थी - वह नौकरी थी , क्योंकि उस समय हर कोई जॉब के लिए परेशान था यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड एक कीटनाशक बनाने वाली कंपनी थी को पता था कि की कीटनाशक बनाने वाली कंपनी भोपाल के लोगों का विनाश कर अक्सर लोग पैसों की लालच में क्या सही है और क्या गलत हैं। भूल जाना ज्ञान और जागरूकता की कमी होने के कारण पैसे को ही लोग मुख्य प्राथमिकता देने लग जाते हैं और कभी-कभी लापरवाही में आकर अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं।
लोगों को रसायनल्स के बारे में उतना मालूम नहीं था बस इतना मालूम था कि इससे पैसा मिलना है, यह काम थोड़ा खतरनाक है यूनियन कार्बाईड में काम करने के लिए वहाँ के लोग मरते थे और कंपनी में लापरवाही और लालच दोनों थी मशीन की अनंत काल हुई या नहीं चलेगा पर तेजस नहीं रुकना चाहिए वर्कर की सेफ्टी हो या ना हो प्रॉफिट बढ़ते रहना चाहिए।
कई सेफ्टी इक्विपमेंट को तो कभी इंस्टॉल ही नहीं किया गया प्रॉफिट अक्सर कंपनी के ओनर को अंधा कर देता है क्या कंपनी के टॉप लेवल में बैठे भारतीय अधिकारी अधिकारी में बैठे भारतीय अधिकारी दूसरे भारतीय कर्मचारियों की सेफ्टी को छोड़कर प्रोडक्शन कैसे हो रहे हैं? पैसे कैसे बन रहे हैं? उस पर ध्यान देना क्या गलत था? और क्या सही है? और क्या जरूरी है? यह पता है कि पैसे के लालच में आकर लोग अक्सर अंधे हो जाते हैं।
कितना खतरनाक हो सकता है MIC
वह कंपनी मिथाइल आइसोसायैड यानी मिसी बनाती बनाती थी कंपनी किसी मिसी साइनाइड का प्रयोग कीटनाशक बनाने में करती थी और मिसी बहुत ही खतरनाक कीटनाशक दवाई थी यूनियन कार्बाइड कंपनी इसी तरह 42 टन से भी बहुत ज्यादा स्टॉक रखती थी कि उसकी टंकी मैं 42 टन केमिकल इकट्ठा रखती थी। शहर के लिए कितना खतरनाक है ।
यह पता है भी लापरवाही की गई और तेजस्वी हमेशा तेज रफ्तार से जारी होने इसलिए वर्कर और पूरे शहर की सेफ्टी को इग्नोर कर दिया गया मिस्सी पानी के साथ बहुत ही खतरनाक तरीके से व्यवहार करता है यह मिस्सी शहर के बीच में एक बम की तरह था। और यह टाइम बम एक दिन फट गया 2 दिसंबर 1984 के रात की रात 12:00 बजे के आसपास अचानक से लोगों को अनियंत्रित खांसी शुरू हो गई घर का हर एक सदस्य खांसना शुरू कर दिया पूरे शहर के जगह जगह के लोग मुंह से खून बह रहा है लगा लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है
थोड़ा देर में उन्हें पता चला भोपाल का सबसे बड़ा प्लांट से मिसी लीक हो गया है गया है एक-दो घंटे के अंदर वह प्लांट से 8 किलोमीटर तक फैल गया सांस लेने नामुमकिन हो गया और अपना सब कुछ छोड़ जो घर से दूर भाग रहा है। क्या वह रास्ता में ही मरने लगे घर और प्लांट से बहुत दूर हो सके इतने दूर भागने के उद्देश्य से कितना डर और दर्द था उस रात वह भोपाल के लोग ही जानते हैं।
शरीर से स्किन छोड़ने लगा और अचानक से लोगों की आंखें गलन लग रही थी पूरी की पूरी आंख 2 सेकंड में सफेद रंग में बदल जा रही थी सुबह के 3:04 बजे के आसपास लोग पास के पैचब में डुबकी मार रहे थे यह सोच कर उनके बारे में कर रहे थे। शरीर को स्पर्श किए गए गैस का इफेक्ट कम कम गैस का इफेक्ट कम चले गैस का इफेक्ट कम कम हो जाएगा पानी से धुल जाएगा लेकिन उन्हें क्या पता था कि वह गैस है भोपाल की सारी जल बॉडीज को भी तेजाब भी तेजाब बना डाला है - थोड़ा लिंग में तालाब के अंदर जीनों का ढेर लग गया था
4 घंटे पहले 12:00 बजे मेंटेनेंस और प्रबंधन की कमी के कारण अचानक से मिसी से भरा टैंक टैंक नंबर E610 के अंदर पानी जाने लगा पानी अपने एक विशेष स्थान से लीक कर उस मिस्सी से भरे से भरे टैंक में जाने लगा मिस्सी पानी का प्रतिनिधि मतलब मतलब इस जहर से बचने का कोई रास्ता नहीं पूरा का पूरा 42 टन मिस्सी पानी में जाने लगा और टैंक के अंदर एक एक खतरनाक स्तर का दबाव पड़ने लगा देखता ही देखता है एक अनियंत्रित केमिकल पेयजल देखने को मिला और इस एक्शन के चलते टैंक के अंदर अंदर का दबाव इस हद से ज्यादा बढ़ गया और टैंक कर एक्सप्लोरर कर गया और 42 टन मिज वातावरण में फैल गया मिसी शरीर में घुसकर खून के साथ मिलकर फेफड़े के ऊपर बहुत ज्यादा फोर्स के साथ प्रेशर सर डाल रहा था जिससे सांस लेने में लगभग नामुमिनिन हो सुबह 5:00 बजे के बाद शहर में लॉस एंजिल्सस की ढेर लग गई।
3-4 दिसंबर 1984 को क्या हुआ।
अगली सुबह का जो सूरज निकला वह भी शायद कह रहा होगा क्या हो गया यह भोपाल को एक को एक रात में वहां लोगों ने सब कुछ खो दिया पूरे शहर लाशें बिखरी पड़ी थी रेलवे ट्रेक्स,पर तालाबों में घरों में जानवरों और इंसानों की लाशों से पूरा भोपाल भर हुआ था इस घटना के चलते भोपाल लोगों ने एक रात में अपना घर खो दिया अपने बच्चों अपने बच्चों को खो दिया अपनी जिंदगी को खो दिया पूरा इंडिया उस दिन शोक में बैठा था
करीब 2000 लोगों की मौत एक रात में हो गई थी और लाखों लोगों के अंदर वह जहर घुस गया जो कि उनके डीएनए को ब्रेक करके करके उनकी आने वाली वाली भविष्य की पीढ़ियों को भी विकलांग जन्म देने वाली थी 520000 से भी ज्यादा लोग उस गैस के संपर्क में आए लगभग डेढ़ मिलियन लोगों के जींस को इफेक्ट इफेक्ट किया कि उनके आने वाले बच्चों को और बच्चों के आगे की जनरेसन बीमारी का जन्म दे दिया आज तो है
ही लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए विकलांगता का एक क्रम चालू कर दिया आने वाले कुछ दिनों के अंदर शारीरिक एवम् न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम हर एक उस इंसान में देखा जो उस गैस के संपर्क में था ऑफिशियल आंकड़े यह बताती है कि करीब यह बताती है कि करीब बताती है कि करीब 3787 लोगों की मौत हुई लेकिन आज भी वहां के लोग यह दावा करते दावा करते यह दावा करते हैं की वास्तविक नंबर 16 हजार से भी अधिक थी से भी हजार से भी अधिक थी से भी अधिक थी भोपाल के आईविटनेस यह कहते हैं
कि पहले 72 घंटों में ही 10,000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई उस घटना के कुछ दिन महीने और साल बाद तो ऐसी हालत हो गई कि वहां के लोग यह कहने लगी कि जो उस रात मारे गए थे वह खुशनसीब थे बदनसीब है जो बच गए विकलांग बच्चे कैंसर न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भोपाल को हमेशा के लिए वह गैस अपने चपेट में ले लिया था उस दिन उस घटना का प्रभाव आज भी मौजूद है भोपाल में विकलांग बच्चों का नंबर बढ़ गया कोई बच्चा पैदा होता तो कोई बिना रोशनी के जन्म लेता जन्म लेता लेता आज भी वहां के कुछ लोग हॉस्पिटल लगातार जाते हैं
उसी गैस के चलते हुई बीमारी या या बीमारी या उससे संबंधित कोई दिक्कत को ट्रेड करने उस घटना कितने सालों बाद भी भोपाल का वह प्लांट जो कि डिजास्टर का एक सोर्स डिजास्टर का एक सोर्स कि डिजास्टर का एक सोर्स डिजास्टर का एक सोर्स था आंखों से खबर सही पड़ा हुआ है और वेस्ट और सड़ा हुआ लोहा आज भी आप वहां देख सकते हो उस घटना के 10 को बाद को 10 को बाद को के 10 को बाद को 10 को बाद को बाद भी ग्राउंड वाटर का जहर से खुला हुआ
पाया गया इसलिए हैंड पंप और और मोटर के जरिए निकलने वाला कुछ पानी ही शुद्ध शुद्ध निकलता है ज्यादातर घरों में वही पानी निकलता है जो कि दिखता तो साफ दिखता तो साफ कि दिखता तो साफ है लेकिन आज भी उस में कई एमआईसी के तत्व मौजूद हैं ।
एंडरसन का सहयोग राशि।
दिसंबर 1984 की रात को पूरे शहर में फैल गया था यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वारेन एंडरसन 24 फरवरी 1989 को इंडिया को 470 मिलियन डॉलर यानी कि उस समय के 700 करोड रुपए इंडियन गवर्नमेंट के हाथों में सौंप दिए नुकसान की भरपाई के तौर पर सवाल यह है।
है कि क्या 700 करोड रुपए मात्र पैसे उनके उनके उनके डीएनए को रिपेयर किया जा सकता है अगली न जाने कितने पीढ़ियों के बच्चों के अंदर के बर्थ डिफेक्ट्स , कैंसर यह सब जो चीजें हैं उन को ठीक को ठीक को चीजें हैं उन को ठीक को ठीक को ठीक किया जा सकता है नहीं हो सकता यह अपरिवर्तनीय चेंज है
निष्कर्ष
काश मैं आपको इस संपूर्ण लेकर कुछ खुशहाल पाठ दे पाता लेकिन मेरे पास नहीं है खुशहाल अंत इस लेख का लालच दुनिया को खत्म करता आया है और कर रहा है और खत्म करता रहेगा लालच से जन्मी इच्छाएं समुद्र के पानी की तरह होते हैं पानी की तरह होते हैं
पानी की तरह होते हैं कितना भी पी लो प्यास नहीं बुझती और आखिरकार प्यास के कारण आदमी समुद्र का पानी इतना मात्रा में पी लेता है है लेता है की तो कि उसकी मृत्यु हो जाती है क्योंकि प्यास तो बुझती नहीं शरीर में नमक की मात्रा बढ़ जाती है किसी ने कहा था लालच सभी बुराइयों की जड़ है
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