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अखिल भारतीय सेवाओं का औचित्य
(सिविल सेवा का औचित्य)

अखिल भारतीय सेवाओं का औचित्य
(सिविल सेवा का औचित्य)
" प्रशासनिक संगठन का स्टील फ्रेम" और "स्वर्ग जन्मी सेवा" के नाम से प्रसिद्ध रही अखिल भारतीय सेवाओं की विरुद्ध आवाज़ उठने लगी है और उनके औचित्य का परीक्षण किया जाने के बावजूद सेवाओं के पक्ष में निम्नलिखित तर्क विद्वानों ने दिए हैं।
1. व्यावसायिकता का महत्वपूर्ण आधार।
इन सेवाओं के सदस्य राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखते हैं, अपने मूल राज्य से बाहर अन्य राज्य में इनकी पोस्टस्टेशनना होती है जिससे क्षेत्रीय भाषाएं जातिगत भावनाएं इनकी दृष्टिकोण पर हावी नहीं होती हैं एक ही सेवा के सदस्य के रूप में पूरे देश को सेवाएं देने से भी राष्ट्रीयता होती है। मिलता है। indian यूआई प्रशासनिक एकरूपता पूरे देश में यह प्रशासनिक एकरूपता की दिशा में योगदान करती है केंद्र और राज्य दोनों में सेवाएं देने से यह एकरूपता दृढं हो जाती है। 3. प्रशासनिक दक्षता का उच्च स्तर। क्योंकि उनके सदस्य केंद्र और राज्य में पदस्थापना करते हैं और उनके मध्य दंडतिता कि भावना पाई जाती है तब तक केंद्र के सहयोग और समन्वय सुनिश्चित करके देश को सहकारी संघ का स्वरूप देने में सफल हो जाते हैं।



जहां तक ​​प्रशासनिक दक्षता का सवाल है, यह सेवा कार्य के उच्च मानकों को स्थापित करता है और उन्हें बनाए रखता है।
4. सटीक संघ

5.लोक सेवक की निष्पक्षता और तटस्थता को प्रोत्साहन।
संवैधानिक संरक्षण और अधिकार संपन्नता का प्रयोग भी लोग सेवा को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखने करते हैं।
6.उच्चार योग्यता।
देश की सर्वोच्च लोक सेवा सेवा होने में अखिल भारतीय सेवाओं में देश की श्रेष्ठ प्रतिभाएं आती हैं इस योग्यता का उपयोग देश सेवा में हो जाता है।
7.अनुभव का भंडार। 8.राज्यों को बेहतर लोक सेवक उपलब्ध। इन सेवाओं की भर्ती राष्ट्रीय स्तर पर संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती है, जिससे राज्यों को अपने महत्वपूर्ण पदों पर देश के वरिष्ठ लोगों की सेवाएं मिल पाती हैं।
केंद्र राज्य और क्षेत्र और मुख्यालय की विभिन्न पदों पर तैनाती से इस सेवा के अधिकारियों को अपनी स्थिति का अनुभव का विशाल भंडार हो जाता है जो नीति और नियोजन से लेकर ज्ञान तक राजनीति को बनाने में प्रयुक्त होता है।



                                                      सीएसआई अकादमी 

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