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संक्षेपण

[]अर्थ और स्वरूप
 'संछिप्त ई करण" के स्थान पर हिंदी में अब संक्षेपण शब्द का प्रयोग होने लगा है दोनों में दोनों के अर्थ में भिन्नता नहीं है केवल आकार और स्वरूप है संक्षिप्त विवरण जो की संक्षेप करने की कला है इसलिए संक्षिप्त करण के स्थान पर संक्षेपण शब्द अधिक उचित और उपर्युक्त कहा जा सकता है
  संक्षेपण अंग्रेजी के प्रेसी का हिंदी रूपांतरण है वैसे "प्रेसी" मूलतः फ्रेंच भाषा के एक शब्द जिसका अंग्रेजी में उच्चारण और वर्तनी प्रेसी है से संबंधित है  किसी विस्तृत अवतरण का ऐसा संक्षिप्त रूप जो अपने आप में यथा तथ्य सुनिश्चित और स्पष्ट हो संक्षिप्त करण का भी इसी अर्थ में प्रयोग किया जाता है । संक्षेप में हम कह सकते हैं कि संक्षेपण में किसी लेख भाषण पत्र या किसी अवतरण में आए अप्रासंगिक तथ्यों बातों उदाहरणों आदि को छोड़ दिया जाता है संक्षेपण में मूल के उपयोगी अंश को ही ध्यान में रखा जाता है संक्षेपण मूल अवतरण का शब्द तारतम में युक्त स्पष्ट फतेहपुर सहज भाषा में व्यक्त प्रभावशाली संक्षिप्त रूप होता है
[]आवश्यकता एवं उपयोगिता 
समय की बचत करने की आवश्यकता और विवशता जितनी आज अनुभव की जा रही है उतनी शायद पहले कभी नहीं की गई थी इस मशीन युग ने मानव को भी मशीन बना दिया है इस व्यवस्था जीवन में इतना अवकाश किसके पास है। कि वह किसी विस्तृत लेख को पढ़ने बैठे, आज का मनुष्य चाहता है कि जो कुछ कहना सुनना हो वह शीघ्र और संक्षेप में कह सुन लिया जाए, इस विज्ञान युग में विज्ञान ने इस युग को अर्थ प्रधान बना दिया है। संपूर्ण मानव जाति धन उपार्जन के पीछे पूरी शक्ति के साथ भाग रही है विज्ञान के उनके पांव में पंख लगा दिया है।पर इस गति त्वरित कार और त्वरित फल मानव जीवन का मूल मंत्र बन गया है सर्वत्र त्याग मनुष्य को कहीं ठहर कर विश्राम करने मनोरंजन का आनंद के लिए किसी बड़ी के पढ़ने के प्रति आकर्षण को समाप्त कर दिया है उसे चाहिए छोटी रचना यह किसी रचना का संक्षिप्त रूप बस इतना ही समय उसके पास है इसलिए आज वृहद उपन्यासों के संस्करण संस्करण प्रकाशित होने लगे हैं कविताएं लघु कविता के रूप में और कहानी छोटी कहानी ग्रुप में अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं।
                         आज जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां संक्षेपण को आवश्यक और उपयोगी ना माना जा रहा हों क्योंकि हर क्षेत्र में द्वारा की प्रवृत्ति काम कर रहे हैं उदाहरण के लिए कार्यालय कामकाज में आज संक्षेपण के बिना काम नहीं चल रहा है अधिकारियों 
 संछेपन के बिना काम नहीं चल सकता अधिकारियों को यदि विविध समस्याओं के बारे में तुरंत जानकारी चाहिए तो संक्षेपण ही एकमात्र पथ है संक्षेपण ही तुरंत निर्णय लेने में सहायक सिद्ध होता है संक्षेप पर पत्रकारिता का तो अनिवार्य अंग है कोई सफल और कुशल पत्रकार संक्षेपण के बिना समाचार संकलन नहीं कर सकता किसी नेता का भाषण हो किसी कहीं कोई घटना दुर्घटना घटी हो कहीं कोई उल्लेखनीय समारोह सम्मेलन या गोष्टी हो उसकी संपूर्ण गतिविधियों को ज्यों का त्यों प्रकाशित करने का दुस्साहस शायद ही कोई पत्रकार कर सकता है ऐसा करने पर उसे शीघ्र ही पाठक संख्या कम होने का जोखिम उठानी पड़ेगी और 1 दिन समाचार पत्र का प्रकाशन बंद होने का पूरी संभावना हो जाएगी इसलिए हर दृष्टि से संक्षेपण की जानकारी और अभ्यास बहुत आवश्यक हो गया है संक्षेपण को आज के युग में सफलता की कुंजी भी कहा जाता है
[]संक्षेपण की विधियां
  1. सर्वप्रथम मूल अवधारणा को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए ध्यान पूर्वक पढ़ने का अर्थ है मूल अर्थ संदर्भ अनुच्छेद अवतरण के मूल तत्वों को समझ लेना चाहिए सामान्यतः 3 बार पढ़ने से अवतरण का मूल मंत्र समझ में आ जाता है ऐसा मनोविज्ञान नेताओं का मत है।
  2. दो तीन बार पढ़ने पर मूल अंश का जब तक प्रतिपाद्य समझ में आ जाए तो उसके शीर्ष का चुनाव करना चाहिए शीर्ष किसी भी स्थिति में व्याख्यात्मक नहीं हो सामान 2- 4 शब्दों से अधिक शीर्ष नहीं होना चाहिए शीर्ष का संबंध मूल अंश के केंद्रीय भाव से नहीं होगा तो शीर्षक सार्थक नहीं होगा सार्थकता के लिए शीर्षक की वैधता का उचित सिद्ध करना संक्षेपण कला की दृष्टि में उतर कर ना और वर्ष में विवाद को जन्म देना है शीर्षक का पंक्ति के रूप में होना या वादी होना या क्रिया सहित होना किसी भी दृष्टि से उपर्युक्त नहीं है किंतु कहानी उपन्यास नाटक के संचरण का शीर्षक उचित अनुपात में बड़ा हो सकता है एक से अधिक शीर्षक सकते हैं उनको लिख लीजिए और फिर उन पर विचार कर किसी एक शीर्षक का चुनाव कीजिए अगर आप अंस को ध्यान से पढ़ें तो आपको उसी में शीर्षक छिपा हुआ दिखाई दे जाएगा कई बार अनुच्छेद का प्रारंभ ही शीर्षक के शब्द शब्द से होता है कई बार अनुच्छेद के अंतिम वर्ष में देखा जा सकता है बहुत कम स्थितियों में शीर्षक अवतरण के मध्य में अंतर नहीं होता है किंतु जब इन तीनों भागों में शीर्षक का कोई   संकेत ना मिले तो   kendriy bhav   को शीर्षक का आधार मानना चाहिए
  3. संक्षेपण का तीसरा चरण है प्रमुख विचारों का प्रमुख तत्वों का सावधानीपूर्वक चयन या सबसे प्रमुख बात यह है कि आपको केवल चुनाव करना है कोई आलोचनाएं टीका टिप्पणी नहीं करनी है प्रधान कथ्य का चयन करते समय प्रमुख विचारों को छोड़ देना चाहिए ऐसा करते समय आपको शीर्षक को ध्यान में रखना चाहिए शीर्षक से चुने तथ्य पर विचार ही प्रमुख होते हैं वाक्यों को छोड़कर संक्षेप छोड़कर संक्षेपण कभी मत कीजिए सबसे सरल bat  yah है कि मुख्य बातों को रेखांकित कर लिया जाए या कहीं लिख लिया जाए
  4. जिन प्रमुख विचारों है  का चुनाव आपने किया है उनको क्रमबद्ध रूप आप मूल अंश के kram को बदल सकते हैं किंतु प्रमुख बात पहले ही आनी चाहिए आपको वाक्य की क्रमबद्ध का का पूरा ध्यान रखना है इसके अभाव में प्रत्येक वाक्य में व्यक्त विचार अन्य वाक्यों के विचार से प्रथक और स्वतंत्र दिखाई देगा किसी भी लेखक का मूल गुण परस्पर संबंध का कार्यक्रम और क्रम बद्ध ताहि हुआ करता है इसलिए संक्षेपण की एक रूपरेखा बनाकर उसे krambadhta देने में व्यवहारिक सुविधा रहती है।
  5. संक्षेपण के आकार अर्थात उस की शब्द संख्या के संबंध में सभी विद्वानों का मत हैं सभी मानते हैं कि मूलन से एक तिहाई भाग आदर्श संक्षेपण है ,मान लीजिए कि मूल अंश में 300 शब्द हैं तो संक्षेपण 100 शब्दों का होना चाहिए यह केवल अनुभव जनित सुविधा मूलक संपत्ति है कोई शास्त्री नियम नहीं इसे पत्थर की लकीर या शब्द संख्या उचित अनुपात में थोड़ी कम या अधिक हो सकती है संक्षेपण विधि का अंतिम चरण है पुनरीक्षण संक्षेपण करने के बाद एक बार उसे सतर्क बुद्धि से पढ़ लेना चाहिए और ऊपर बताई गई बातों के आधार पर उसी स्वयं परख लेना चाहिए शीर्षक तत्वों की उपयुक्त समावेश प्रधान व और वाक्य पठन प्रमुख बात का उल्लेख क्रम और आकार संक्षेपण पर एक बार पुनः विचार कर लेना चाहिए
[]संक्षेपण कला के प्रमुख सिद्धांत
  1. संक्षेपण की भाषा अपनी अपनी होनी चाहिए इसका अर्थ है कि शब्द संयोजन और वाक्य विन्यास नितांत अपना-अपना हो मूल शब्द के शब्द संयोजन और वाक्य विन्यास को तोड़ मरोड़ कर देना संक्षेपण कला को विकलांग बना देता है आवश्यक हो तो उसके मूल शब्द लिए तो जा सकते हैं पर उनका वाक्य में प्रयोग मौलिक होना चाहिए उसके साथ पढ़ा जाए तो ऐसा लगना चाहिए कि दोनों रचनाओं में विचार सामने तो है और दोनों भाषा रूप स्वतंत्र हैं ऐसा करते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखें यही मूल में व्यक्त भाव या विचार या मूल अंश का ही अनर्थ ना हो जाए इसलिए मूल शब्द को व्यक्त करने के लिए यदि आवश्यक ही हो तो उसमें प्रयुक्त शब्द को ग्रहण करने में संकोच नहीं करना चाहिए
  2. मूल अंश में अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए यदि कोई उदाहरण दृष्टांत दिया जाए अथवा किसी अन्य प्रसंग या कहानी की चर्चा हो तो संक्षेपण में उसका उपयोग नहीं करना चाहिए
  3. विषय को प्रभावशाली शैली में प्रयुक्त करने के लिए 
विशेषण क्रिया विशेषण आदि का प्रयोग किया जाता है संक्षेपण में इन को छोड़ देना चाहिए आवश्यक ही हो तो अनेक विषयों में से किसी एक विशेषण का उपयोग पर्याप्त है
  1. संक्षेपण में कहावत मुहावरों का प्रयोग भी राज्य है इनसे अनावश्यक विस्तार होता है कहावत मुहावरों में व्यक्त अर्थ और राशि को ही अपने शब्दों में लिख देना चाहिए
  2. यदि मूल अवतरण अलंकारिक शैली में लिखा हुआ हो तो संक्षेपण में इस शैली का प्रयोग वर्जित है यहां सुबोध और सरल भाषा ही उपाध्ए होती है संक्षेपण की भाषा को साहित्य कृपा से बचाना चाहिए
  3. जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि संक्षेपण में आलोचनाएं टीका टिप्पणी का कोई स्थान नहीं होता है संछिप्त का कार्य विषय की समीक्षा उसके गुण दोषों की छानबीन यह सुझाव देना नहीं उसका मुख्य धर्म मूल अनुच्छेद में विस्तार से व्यक्त विचारों को संक्षेप में व्यक्त कर देना है संछेप को किसी भी प्रकार के खंडन मंडन से दूर रहना चाहिए अपनी ओर से कुछ भी जोड़ने घटाने का अधिकार भी संक्षेप को नहीं होता है
  4. मूल अनुच्छेद में भूमिका और उपसंहार भी हो सकता है पर संक्षेपण में किसी भी प्रकार की भूमिका उपसंहार के लिए कोई स्थान नहीं होता है संक्षेप में तो सीधे ढंग से संक्षेप में बात कह देनी चाहिए
  5. किसी बात पर बल देने के लिए मूल अंश में यदि पुनरावृत्ति या पुनरुक्ति का समावेश है तो संक्षेपण में इससे बचना चाहिए इसी तरह संक्षेपण में समानार्थी शब्दों का प्रयोग भी वर्जित है
  6. संक्षेपण में मूल अवतरण में आए प्रश्न मूलक बातों का संक्षेपण में परित्याग कर देना चाहिए प्रश्न मुल्क तक से संक्षेपण के स्वरूप में अस्वस्थता जाती है
  7. संक्षेपण में हमेशा अप्रत्यक्ष कथन शैली का प्रयोग किया जाना चाहिए संवाद शैली में दिए गए अवतरण के संक्षेपण में प्रत्यक्ष या परोक्ष का नितांत अनिवार्य है ऐसा करने के लिए केवल उधारण चिन्ह को हटाकर वहां की का प्रयोग कर देना चाहिए
  8. संक्षेपण में सदा अन्य पुरुष का प्रयोग करना चाहिए अन्य पुरुष का उपयोग संक्षेपण में शक्ति प्रदान करता है प्रथम पुरुष उत्तम पुरुष का प्रयोग मूल लेखक ही कर सकते हैं
  9. संक्षेपण में लंबे वाक्यों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए एक वाक्य में उपयोग वाक्यों का प्रयोग संतोष बना देता है
  10. अवतरण में आए वाक्यांशों के स्थान पर किसी एक उपयुक्त शब्द का प्रयोग करना चाहिए इससे संक्षेपण में संक्षिप्त और स्वास्थ्य का समावेश हो जाता है इसी तरह के शब्दों को संधि और समास आदि के द्वारा लघु रूप दे देना चाहिए
  11. पत्र और भाषण का संक्षेपण करते समय भूतकाल क्रिया को काम लिया जाना चाहिए किंतु यदि आधार वर्तमान काल भविष्य का हो तो भूतकाल की अपेक्षा वर्तमान या भविष्य काल का ही प्रयोग उचित होता है ध्यान रखें कि संवाद शैली में दिए गए आज का भूतकाल और अन्य पोस्ट में किया जाना चाहिए
  12. उत्कृष्ट संक्षेपण का स्वरूप और विशेषताएं विवेचना के आधार पर संक्षेपण जो रूपा कार गांड करता है उसकी निम्नलिखित विशेषताएं होती है ।
[]उत्कृष्ट संक्षेपण का स्वरूप और विशेषताएं
  1.  संक्षिप्त ता
       2.spasth, 
        3.पूर्णता और क्रमबद्ध का भाषा की स्पष्ट ता
       4. सरलता एवं योग्यता
[] संक्षेपण के भेद
  1. धारा प्रवाह संक्षेपण
  2. सारणी या तालिका संक्षेपण

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