भारत में संविधान सभा के गठन का विचार वर्ष 1934 में पहली बार एमएन रॉय ने रखा राय भारत में वामपंथी आंदोलन की प्रखर नेता थे 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेश में पहली बार भारत में संविधान के निर्माण के लिए अधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की थी 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा द्वारा किया जाएगा और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा
नेहरू की इस मांग को अंततः ब्रिटिश सरकार ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया इसे सन 1940 के अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है सन 1942 में ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मंत्री सर स्टैनफोर्ड क्लिप्स मंत्रिमंडल के सदस्य एक स्वतंत्र संविधान के निर्माण के लिए ब्रिटिश सरकार के प्रस्ताव के साथ भारत आए इस संविधान को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जाना था क्रिप्स प्रस्ताव को मुस्लिम लीग ने अस्वीकार कर दिया मुस्लिम की मांग की दोस्तों में बांट दिया जाए जिनकी अपनी अपनी संविधान सभा में अंतर भारत में एक कैबिनेट मिशन को भेजा गया इस मिशन में 2 संविधान सभा की मांग को ठीक कर दिया लेकिन उसने ऐसी संविधान सभा के निर्माण की योजना सामने रखी जिसने मुस्लिम लिखो काफी हद तक संतुष्ट कर दिया
[x]संविधान सभा का गठन
कैबिनेट मिशन योजना द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों के तहत नवंबर 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ योजना की विशेषताएं निम्नलिखित थे
- संविधान सभा के कुल सदस्य संख्या 389 होनी थी इसमें से 296 सीटों ब्रिटिश सरकार और भारत और 93 सीट देशी रियासत को आवंटित की जानी थी ब्रिटिश भारत को आवंटित की गई 296 सीटों में 292 सदस्यों का चयन 11 गवर्नर ओं के प्रांतों और 4 का चयन मुख्य आयुक्त के प्रांतों से किया जाना था
- हर प्रांत व देशी रियासतों को उनकी संख्या के अनुपात में सीटें आवंटित की जाने की मोटे तौर पर कहा जाए तो प्रत्येक 1000000 लोगों पर एक सीट आवंटित की जानी थी
- प्रत्येक ब्रिटिश प्रांत को आवंटित की गई सीटों का निर्धारण तीन प्रमुख सदस्यों के बीच उनकी सदस्यों की संख्या के अनुपात में किया जाना था 3 समुदाय थे मुस्लिम सिख व सामान्य
- प्रत्येक समुदाय के प्रतिनिधियों का चुनाव प्रांतीय असेंबली में उस समुदाय के सदस्यों द्वारा किया जाना था और एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से समानुपातिक प्रतिनिधित्व तरीके से मतदान किया जाना था
- देसी रियासतों के प्रतिनिधियों का चयन रियासतों के प्रमुख द्वारा किया जाना थाा
स्पष्ट था संविधान सभा आंशिक रूप से चुनी हुई और आंशिक रूप से नामांकित निकाय थी इसके अलावा सदस्यों का चयन अप्रत्यक्ष रूप से एक सीमित मताधिकार के आधार पर किया था
[x]संविधान सभा की आलोचना
आलोचकों ने विभिन्न आधारों पर संविधान सभा की आलोचना की है यह आधार निम्न है
- यह प्रतिनिधि निकाय नहीं थी
- संप्रभुता का अभाव
- समय की बर्बादी
- कांग्रेस का प्रभुत्
- वकीलों और राजनीति को का प्रभुत्व
- हिंदुओं का प्रभुत्व
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