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फ्रांसीसियों की असफलता के कारण
( फ्रांसीसी की विफलता के कारण)
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1. यूरोपीय लोगों की व्यापारिक और आर्थिक श्रेष्ठता।
अंग्रेजों की सफलता का एक कारण यह था कि फ्रांसीसी ओम की तुलना में उनकी कंपनी आर्थिक दृष्टि से अधिक समेकित थी फ्रांसीसियोंकी तुलना में अंग्रेजों ने 1736 से 1756 के बीच लगभग दोगुना व्यापार किया युद्ध होने की स्थिति में भी अंग्रेजों को अपना पूरा ध्यान व्यापार पर केंद्रित किया। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर नहीं हुई।
2. कांपनी का स्वरूप।
फ्रांसीसी कंपनी एक सरकारी संस्था थी जबकि अंग्रेजी प्राथमिक कंपनी थी इसका प्रभाव यह था कि फ्रांसीसी कंपनी के कर्मचारियों में लग्न और निष्ठा की कमी थी फ्रांसीसी कंपनी को ब्याज एक निश्चित दर पर प्राप्त होता था इसलिए वह भी कंपनी के कार्यो में अधिक रूचि नहीं लेते थे फ्रांसीसी कंपनी पर सरकार की नीतियों का प्रत्यक्ष प्रभाव था, जबकि अंग्रेज कंपनी का स्वरूप निजी होने के कारण उन पर होने के कारण उन पर सरकारी प्रस्तावों का प्रभाव नहीं पड़ता था विशेष रूप से।
3. जापानीजन्स की बंगाल विजय
बंगाल पर विजय प्राप्त कर लेने के बाद अंग्रेजों की प्रतिष्ठा तो बढ़ी ही साथ ही उसे बंगाल का अपार धन और जनशक्ति भी प्राप्त हुई बंगाल से प्राप्त होने वाले धन का प्रयोग में मद्रास के युद्ध में करते थे फ्रांसीसी ओम के पास बंगाल जैसा कोई देश नहीं। था और दच्छिन तक ही सीमित थे, हालांकि डुप्ले ने भारत के दक्षिणी हिस्से के दक्षिणी हिस्से के दक्षिणी हिस्से के भारत के दक्षिणी हिस्से के दक्षिणी हिस्से के दक्षिणी हिस्से ने भारत के दक्षिणी हिस्से के दक्षिणी हिस्से के दक्षिणी हिस्से को प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित किया था। और उस बंगाल की खोज के रूप में की नीति को विफल कर दिया गया।
4.डुप्लेक्स की डाक वापसी।
एफ असफलताता का एक प्रमुख कारण है कि सरकार द्वारा 1754 में डूप्ले को वापस बुला लिया यद्यपि भारत में कुछ दिनों तक और रुक जाता है तो तत्काल फ्रांसीसी यो की स्थिति सुधर जाती डूप्ले की वापसी के बाद फ्रांसीसी ओम का वर्चस्व समाप्त होने वाला हो गया क्योंकि भारतीय एम्बे की जानकारी के अनुसार उसको थी उतनी लाली को नहीं थी 5.
इलाली की अदूर।
डूप्ले की वापसी के बाद जब खाता डी लाली को फ्रेंच प्रतिनिधि बनाकर भारत प्रेषित किया गया था, तब तक बरनी के अधिकारियों ने पूर्ण निष्ठा नहीं दिखाई थी।
6. विलियम पिटाई की नीति।
इंग्लैंड की युद्ध मंत्री विलियम पित्त एक एक कूटनीतिक थे उनके यूरोप में फ्रांस के खिलाफ ऐसे अभियान छेड़े सहित एकीकरणने के बाद भारत में उनकी स्थिति को नियंत्रण में नहीं रखा गया।
7.यूरोपियन नीति
भारत में ध्रवी फ्रांसीसी संघर्ष के दौरान फ्रांस यूरोप के कई देशों के साथ युद्ध में उलझा हुआ था इंग्लैंड इन दृश्यों से बचा रहा था क्योंकि एक पृथक दीप के रूप में स्थित है अंग्रेजों ने इस बीच भारत में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।
8A पत्रों के साथ: परिचित सहयोग की भावना अंग्रेज अधिकारियों और सेनापतियों में योग्यता के साथ साथ योग्यता योग्यता की सहयोग की भावना विद्यमान थी उसने कहा उसी एकता के बल पर फांसी सियों को मात दी जबकि फांसी सुमन नेतृत्व का मुद्दा और एकता का अभाव अंग्रेजों के लिए लाभदायक सिद्ध हुआ।
उल्टा जल सेना का कमजोर होना।
सिद्ध अंग्रेजों के पास बड़ी जल सेना थी और जनशक्ति के अन्य साधन भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे, उनकी लगभग सभी चलने वाली ऊर्जा पर वर्चस्व था जिससे व्यापारिक लाभ के साथ-साथ उन्हें आर्थिक लाभ भी प्राप्त हुआ डोर वेल के अनुसार सामूहिकड्रिक शक्ति के प्रभाव ही। मुख्य कारण था जो अंग्रेजी सफलता का कारण बना हालांकि का शिष्यों के पास थल सेना की प्रचुरता थी, हालांकि जल सेना के अभाव में वह निरर्थक और नाकाम साबित हुई।
निष्कर्ष है भारत में एनसीसी संघर्ष के परिणाम स्वरूप था शिष्यों शिष्यों की पराजय का कारण आर्थिक राजनीतिक और सामरिक तीनों ही थी इन सभी परिपेक्ष में अंग्रेजी शक्ति था शिष्यों की तुलना में प्रभावशाली थी CSIACADEMY
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