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मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण | (Due to the decline of the Mauryan Empire) #csiacademy |
(Due to the decline of the Mauryan Empire)
1.अयोग्य उत्तराधिकारी
2.केंद्रीय शासन की दुर्बलता
3.अशोक तथा उसके उत्तरअधिकारियों की ब्राह्मण विरोधी नीति
4.अशोक की अहिंसात्मक नीति
5.विदेशी आक्रमण
6.प्रांतीय गवर्नरओं के अत्याचार
7.दरबारी षड्यंत्
मौर्य सम्राट अशोक की मृत्यु के पश्चात लगभग 50 वर्षों में ही शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया 184 ईसा पूर्व में अंतिम मौर्य सम्राट वर हजरत की उसके ही सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने हत्या कर दी शुंग वंश नामक नवीन राजवंश की स्थापना की और मौर्य साम्राज्य का अंत कर दिया अन्य साम्राज्य के पतन के समान ही मौर्य साम्राज्य का पतन ना तो आकाश मिक था ना ही कोई एक कारण उसके लिए उत्तरदाई था लंबे समय के अनेक कारण मौसम राज को कमजोर बना रहे थे तथा एक समय ऐसा आया जब भी इन कारणों ने संयुक्त रूप से मौर्य साम्राज्य का पतन कर दिया मौर्य साम्राज्य के पतन के निम्नांकित कारण हैं।
1.अयोग्य उत्तराधिकारी
मौर्य सम्राट अशोक की मृत्यु के पश्चात उसके उत्तर अधिकारियों में कोई भी ऐसा नहीं था जिसमें उसके सामान प्रशासनिक क्षमता होती राजतंत्र शासन प्रणाली में राज्य की सफलता एवं असफलता उसके प्रशासन की योग्यता पर निर्भर होती है अशोक की मृत्यु के पश्चात मौर्या साम्राज्य के सभी उच्च अधिकारी निर्बल एवं आयोग सिद्ध हुई इसलिए उनका पतन होना स्वभाविक था
2. केंद्रीय शासन का निर्बल होना
अशोक के उच्च अधिकारियों के निर्मल आयोग होने के कारण मौर्य साम्राज्य के केंद्रीय शासन का कमजोर होना स्वाभाविक ही था प्रारंभिक मोर शासकों द्वारा स्थापित मारो शासन प्रणाली इतनी केंद्रीय कैथी कि सिर्फ एक युग शासकीय अपने वह अपनी प्रजा के लिए हित के लिए इसका उपयोग कर सकता था लेकिन अशोक के पश्चात आसीन हुए आयोग शासकों के कारण केंद्रीय शासन दुर्बल हो गया जिसके परिणाम स्वरूप मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया
3. अशोक तथा उसके उत्तर अधिकारियों की ब्राह्मण विरोधी नीति
कुछ विद्वान मौर्य साम्राज्य में अशोक तथा उसके उत्तर अधिकारियों की ब्राह्मण विरोधी नीतियों को मौर्य साम्राज्य के पतन का महत्वपूर्ण कारण मानते हैं इतिहासकार डॉ रामशरण शर्मा तथा पंडित हरप्रसाद शास्त्री ने अशोक की धार्मिक नीति को मोर सम्राट के पतन का मुख्य कारण बताया है पंडित हरप्रसाद शास्त्री का कथन है ब्राह्मणों की प्रतिक्रिया ने मोड़ सत्ता को खोखला कर दिया और साम्राज्य छिन्न-भिन्न कर दिया विद्वान इतिहासकार डॉ राम शरण शर्मा के अनुसार उसने औरतों द्वारा दिए जाने वाले धार्मिक कृत्यों की खिल्ली उड़ाई स्वभाव का इससे ब्राह्मणों की आय पर विपरीत प्रभाव पड़ा बौद्ध धर्म और अशोक के यज्ञ विरोधी दृष्टिकोण से ब्राह्मणों को बड़ी हानि हुई इससे धार्मिक नीति के कारण हुई इसका चरमोत्कर्ष पुष्यमित्र शुंग के मित्रों से स्पष्ट होता है।
4.अशोक की अहिंसात्मक नीति
अशोक ने कलिंग युद्ध के सदैव के लिए युद्ध त्याग दिया था इससे साम्राज्य की सेना का सामरिक उत्साह ठंडा पड़ गया था धीरे-धीरे उसे युद्ध लड़ने और प्रत्यक्ष अनुभव नहीं रह गया जो प्रारंभिक मोर सम्राटों के काल में था इस संदर्भ में विद्वान डॉ आर सी मजूमदार ने लिखा है कि "जो साम्राज्य रक्त एवं लौह नीति द्वारा स्थापित किया गया था उसी नीति के द्वारा व सुरक्षित रखा जा सकता था परंतु अशोक की अहिंसात्मक नीति के कारण भारतीय सिपाहियों की रुचि युद्ध में नहीं रही यही कारण था कि सेना उसने सेल्यूकस किस सफलतापूर्वक सामना किया था कि कहीं कम शक्ति की सेना को सामना नहीं कर सके"
5.विदेशी आक्रमण
मौर्यों के पतन का एक अन्य कारण विदेशी आक्रमण थे अशोक ने जिन मध्य तथा पश्चिमी एशियाई शक्तियों को अपनी राजनीतिक शक्ति के से दबा रखा था और अपनी सफल कूटनीति से उन्होंने अपना मित्र बना रखा था लेकिन अशोक की मृत्यु के पश्चात उन्होंने भारत की केंद्रीय शक्ति को दुर्बल तथा राजनीतिक जीवन को खराब पाते ही आक्रमण करना शुरू कर दिया और शासक शैली सुख के शासनकाल में ही अपनों ने भारत पर आक्रमण करने की तैयारी कर ली थी पश्चिमोत्तर देशों में बैक्टीरिया के जवानों के आक्रमण का भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा सर्वप्रथम उन्होंने ही भारत पर आक्रमण किया इसके बाद आक्रमणों की एक श्रंखला बन गई जो इसवी सन से प्रारंभ होने तक जारी रही
6. प्रांतीय गवर्नर ओं के अत्याचार
मौर्य शासकों ने शासन की सुविधा के लिए अपने साम्राज्य को अनेक भागों में विभक्त कर रखा था किन प्रांतों के शासकों का अत्याचार बढ़ता ही जा रहा था जब तक सुशीला में हुए विद्रोह को दबाने के लिए अशोक वहां गया वहां की जनता ने उसे कहा कि ना तो हम कुमार के विरुद्ध है और ना राजा बिंदुसार की परंतु दुष्ट का माता हमारा अपमान करते हैं दिव्य वरदान के अतिरिक्त अशोक के कलिंग युद्ध से भी इस बात की पुष्टि होती है कि उसके शासनकाल में सुदूर प्रांतों के राजकीय अधिकारी प्रचा का उत्पीड़न करते थे इस अभिलेख में उच्च अधिकारियों को संबोधित करते हुए अशोक ने आदेश दिया था कि वह प्रजा से मधुर व्यवहार करें इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रजा और शासन के विरुद्ध हो गई थी।
7. दरबारी षड्यंत्र
मोर दरबार के सदस्यों मोड़ दरबार के सदस्य भी अनेक गुटों में विभक्त थे तथा अपने अपने हितों के लिए पारस्परिक षड्यंत्र में रथ थे इनका प्रत्यक्ष प्रमाण स्वयं अशोक द्वारा राज सिंहासन पर अधिकार करने का प्रयास व उनकी कारण उत्पन्न ग्रह युद्ध था इस प्रकार के संयंत्रों का चरमोत्कर्ष के शासनकाल में हुआ जब उसके ही सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने अपनी हत्या कर दी और स्वयं शासन सत्ता पर अधिकार कर लिया इस प्रकार मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया।
इस विवेचन से स्पष्ट है कि मौर्य साम्राज्य का पतन राय है उन्हीं कारण से हुआ जिसके कारण मध्ययुग तथा अन्य राज्यों का भी पतन हो रहा अधिकारियों की अयोग्यता केंद्रीय शासन की दुर्बलता विदेशी आक्रमण प्रांतीय शासकों की अत्याचार और दरबारी षड्यंत्र आदि मौर्य साम्राज्य के पतन के मुख्य कारण है। #CSIACADEMY
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