101वां संविधान संशोधन 2016
जीएसटी आने के बाद कुछ अनुच्छेद को जो संविधान में निर्दिष्ट हैं संशोधित किया गया है और कुछ नया निश्चित भी जोड़े गए हैं
अनुच्छेद 246 :अनुच्छेद 246 के तहत व्यवस्था की गई है कि संसद को सीजीएसटी और एसजीएसटी लगाने का अधिकार होगा और राज्यों को sgst लगाने का अधिकार होगा
अनुच्छेद 248 :अनुच्छेद 248 से बताता है कि कौन से विधानमंडल के पास कौन सा अधिकार होंगे अनुच्छेद 246, 248 तीनों सूचियों से संबंधित है
अनुच्छेद 268A: के पहले सेवा कर का प्रावधान करता था अब यह अनुच्छेद संविधान से समाप्त कर दिया गया है
अनुच्छेद 269: इसके तहत पहले जो अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन होता था उस पर कर केंद्र लगा तथा
परंतु उसे राज्यों में बांट दिया जाता था अनुच्छेद 269 में, अनुच्छेद 269A IGST का प्रावधान किया गया है यह अंतर राज्य है अब अगर वस्तु का बाहर से आयात होता है तो वहां सीमा शुल्क के साथ साथ आईजीएसटी भी लगेगा 1 जुलाई 2017 के बाद से जो भी vstuye हैं वे अंत किस राज्य में होती हैं उसको उसके आयात पर आए जीएसटी का आधा हिस्सा भी मिलेगा इस प्रकार पहली बार राज्यों को आयात में से कुछ हिस्सा मिलेगा विशेष आर्थिक क्षेत्र SEZ पर भी जीएसटी लगेगाअनुच्छेद 270 :अनुच्छेद 270 के तहत जो कर kendra वसूल करता था उसके बाद इसे राज्यों में बांट दिया जाता था अब साथ में जीएसटी से जो rajasv सुरक्षित होगा उसमें अर्थात सीजीएसटी और एसजीएसटी में केंद्र का भी आधा हिस्सा है यह कर भी vbhajy pull का हिस्सा बनेगा और वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार केंद्र और राज्यों के बीच बांटा जाएगा
अनुच्छेद 271: अनुच्छेद 270 में दो बातें समाहित हैं अधिभार और उपकर इसमें संबंधित केंद्र सरकार के पास विशेष उपाय थे केंद्र का कर संग्रह कम होने पर केंद्र अनुच्छेद 269 में जो प्रावधान था उस पर अधिभार या उपकर लगा सकता था जिससे जो भी कर केंद्र लगाता था उसका सारा केंद्र को मिलता था तथा केंद्र को कोई पैसा राज्यों को नहीं देना पड़ता था लेकिन अब इसे जो भी राजस्व प्राप्त होगा वह वित्त आयोग के सुझाव के अनुसार राज्यों और केंद्र में बांट दिया जाएगा
केंद्र सरकार के जो बच्चे हैं उन पर केंद्र भी लगा सकता है और भी के मामले में अब एक विशेष लगेगा का बंटवारा जीएसटी परिषद के निर्देश केंद्र और राज्यों के बीच में यूट्यूब कर का सारा पैसा और राज्य क्षतिपूर्ति निधि में जाएगा क्योंकि जीएसटी लगने के लगने पर यदि राज्यों को कोई घाटा होता है तो भरपाई करने के लिए केंद्र ने 5 वर्ष की गारंटी दी है पहली महंगी वस्तु पर 28% जीएसटी लगाएगा उसके बाद 15% इसके साथ ही स्वच्छ ऊर्जा ऊपर लगाया जाएगा जिससे का पैसा अब राज को जाएगा
इस प्रकार सहकारी संघवाद के अंतर्गत "केंद्र और राज्य दोनों एकरूपता हासिल करने के लिए अपनी शक्तियों को साझा करने और प्रत्यक्ष करोगे तालमेल करने के लिए सहमत हैं"
- वस्तुओं एवं सेवाओं पर अलग अलग कर की दरें भारत में वस्तुओं सेवाओं के कर अलग थे ऐसे में वस्तुओं सेवाओं के कर को एक ही व्यवस्था के अंतर्गत लाना अनिवार्य था ऐसी व्यवस्था में बहुत सारे करदाता अपने उत्पाद को कभी वस्तु मानती तो कभी सेवा एवं जिस पर भी कर किस दिन होगी उसी के अंतर्गत अपने उत्पाद को रखते थे जैसे सॉफ्टवेयर -जीएसटी के द्वारा सभी वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर की दर एक समान कर दी गई है
- सेनवैट एवं वेद की कर पर कर की समस्या
केंद्र सरकार एवं वस्तुओं के उत्पादन पर लिया जाने वाला कर केंद्रीय मूल्य वर्धित कर एवं राज्यों द्वारा वस्तुओं के विक्रय कर लिया जाने वाला कर वर्धित कर के कारण 'कर पर कर' की समस्या विद्यमान थी जिसका समाधान किया जाना आवश्यक था जिसके द्वारा इस समस्या का समाधान हो सकेगा
- अलग-अलग राज्यों में वैट की दरों में भिन्नता भारत में अलग अलग राज्य में वैट की दर अलग-अलग चल रही थी क्योंकि राज्यों में प्रतिस्पर्धा का परिणाम स्वरूप एक राज अपने कर राजेश को बढ़ाने के लिए वैट की दर को कम रखता है ताकि वहां व्यापारी तीव्र गति से बढ़ सके इसके साथ ही एक राष्ट्र की संकल्पना को साकार करने हेतु संपूर्ण देश में एक ही कर प्रणाली आवश्यक जीएसटी के माध्यम से पूरे देश में एक समान का व्यवस्था लागू हो चुकी है
- प्रवेश एवं चुंगी कर की समस्या
एक वस्तु को किसी एक राज्य से दूसरे राज्यों में बेचने पर उसके मार्ग में आने वाली प्रत्येक राज्य की सीमा पर प्रवेश कर एवं प्रत्येक नगर पालिका की सीमा पर चुंगी कर देनी पड़ती थी जिससे उस वस्तु की लागत में वृद्धि हो जाती थी इस वजह से एक ही कर की संकल्पना की आवश्यकता महसूस की गई जिससे राज्यों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं का आवागमन आसान हो सकें
- कर अनुपालन में आसानी
GST 17 केंद्रीय और राज्य कर 22 प्रकार की उपकर केवल एक कर्मी शामिल हो जाएंगे इसके परिणाम स्वरूप विविध कारों की जटिलता समाप्त हो जाएगी एवं अप्रत्यक्ष करों में महत्वपूर्ण सरलीकरण को प्राप्त किया जा सकेगा विभिन्न राज्यों के बैठकर में 97 प्रकार के रिटर्न्स होते थे जिन्हें भरने के लिए 28 ब्यूरो और 317 अनुबंधन का आश्रय लेना पड़ता था इसी तरह केंद्रीय उत्पाद शुल्क के लिए 13 रिटर्ंस फॉर्म भरने के साथ एक ब्यौरा भी देना होता था यहां तक कि चालान भी 12 तरह के होते थे अब इन सभी की जगह पूरे देश में एक समान से चालान भुगतान करना है करना भी आसान हो गया है इससे का अनुपालन आसान हो जाएगा
- सरकार और राज्य सरकारों के करो को जोड़ना
भारत में केंद्र और राज्यों की अलग अलग करो के कारण भारत में करो कि वह उनकी समस्या पाई जाती थी इसलिए केंद्र राज्यों की करो को जोड़ना आवश्यक था ताकि नागरिक आसानी पूर्वक करों का भुगतान कर सकें एक राष्ट्र एक कर एक बाजार की संकल्पना को प्राप्त किया जा सकता है
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